वास्ते हज़रत मुराद-ए- नेक नाम       इशक़ अपना दे मुझे रब्बुल इनाम      अपनी उलफ़त से अता कर सोज़ -ओ- साज़    अपने इरफ़ां के सिखा राज़ -ओ- नयाज़    फ़ज़ल-ए- रहमान फ़ज़ल तेरा हर घड़ी दरकार है फ़ज़ल-ए- रहमान फ़ज़ल तेरा हो तो बेड़ा पार है

 

 

हज़रत  मुहम्मद मुराद अली ख़ां रहमता अल्लाह अलैहि 

 

 हज़रत दरवेश मुहम्मद बिन क़ासिम

 

रहमतुह अल्लाह अलैहि

 

हज़रत दरवेश मुहम्मद बिन क़ासिम रहमतुह अल्लाह अलैहि के वालिद माजिद का नाम शेख़ क़ासिम है। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि सिलसिला चिश्तिया निज़ामीया में हज़रत-ए-शैख़ फ़तह अल्लाह ऊधी से बैअत थे। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने सिलसिला चिश्तिया क़ादरिया और सुहरवर्दिया में हज़रत सय्यद बुढन भड़ाइची रहमतुह अल्लाह अलैहि से बैअत थे। और उन के ख़लीफ़ा भी थे।

मुसन्निफ़ गुलज़ार इबरार के मुताबिक़ सिलसिला चिश्तिया में हज़रत दरवेश मुहम्मद बिन क़ासिम रहमतुह अल्लाह अलैहि हज़रत-ए-शैख़ साद उल्लाह बदा योनी रहमतुह अल्लाह अलैहि के मुरीद-ओ-ख़लीफ़ा थे और अपने वालिद बुज़ गवार के पैर-ओ-मुर्शिद हज़रत-ए-शैख़ फ़तह अल्लाह बदा योनी रहमतुह अल्लाह अलैहि के भी मुरीद वख़लीफ़ा थे। हज़रत-ए-शैख़ फ़तह अल्लाह बदा योनी रहमतुह अल्लाह अलैहि को हज़रत-ए-शैख़ सदर उद्दीन शहाब क़ुरैशी रहमतुह अल्लाह अलैहि से ख़िरक़ा ख़िलाफ़त मिला था और उन्हें अपने पैरौ मुर्शिद हज़रत-ए-शैख़ नसीर उद्दीन महमूद चिराग़ देहलवी रहमतुह अल्लाह अलैहि से ख़िरक़ा ख़िलाफ़त मिला था।उल-क़िस्सा हज़रत दरवेश मुहम्मद बिन क़ासिम रहमतुह अल्लाह अलैहि तीन वासतों से हज़रत-ए-शैख़ नसीर उद्दीन महमूद चिराग़ देहलवी रहमतुह अल्लाह अलैहि तक पहुंचता है।

हज़रत दरवेश मुहम्मद बिन क़ासिम रहमतुह अल्लाह अलैहि रहमतुह अल्लाह अलैहि १६ मुहर्रम ८९६ हिज्री को इस दार फ़ानी से रुख़स्त हुए। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि का मज़ार शरीफ़ फ़ैज़ाबाद हिंदूस्तान में मरज्जा ख़ास-ओ-आम है।

नोट:। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के हालात-ए-ज़िंदगी बावजूद कोशिश के कहीं से नहीं मिल सके।क़दीम कुतुब में जो कुछ मिला मैंने लिख दिया। अगर किसी साहिब के पास हूँ तो "राबिता करें" को क्लिक करके हमारे साथ राबिता क़ायम करें और इस कार-ए-ख़ैर में हिस्सादार बने। या नीचे दिए गए ई मेल ऐडरैस पर राबिता करें।

इसरार-उल-हक़

Israr Ul Haq

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